क्या माहवारी के दौरान उपवास करना सही है? – पूरी तरह से नहीं। उपवास एक प्रचलित स्वास्थ्य परंपरा रही है और यह विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यक्तिगत वजहों से किया जाता है। हालांकि उपवास करने के अपने फायदे हैं, लेकिन यह सवाल उठ रहा है कि क्या इसका आपके संपूर्ण स्वास्थ्य और कल्याण पर कोई असर होता है या नहीं। तो चलिए, इस लेख में इसे विस्तार से समझते हैं – उपवास का आपके शरीर पर क्या असर होता है और माहवारी के दौरान उपवास के फ़ायदों से लेकर अगर आप माहवारी के दौरान उपवास करना चाहती हैं, तो किन नियमों का पालन करना चाहिए।
माहवारी के दौरान शरीर में क्या होता है?
माहवारी केवल एक असुविधा नहीं। यह एक उलझी हुई और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है लेकिन अधिकांश महिलाओं को यह पता नहीं होता कि माहवारी के दौरान हमारे शरीर के अंदर क्या चल रहा होता है। हॉर्मोनल उतार-चढ़ाव से मनोस्थिति में बदलाव और शारीरिक लक्षणों तक, अपने चक्र को समझने से आप अपना बेहतर ख्याल रख पाती हैं। माहवारी के दौरान उपवास करना चाहिए या नहीं, यह आप बेहतर समझ सकेंगी।
आपके पूरे मासिक चक्र में होने वाले हॉर्मोनल उतार-चढ़ाव आपकी प्रजनन प्रणाली और आपके पूरे शरीर को प्रभावित करते हैं। माहवारी के दौरान एस्ट्रोजन का स्तर घटता है और गर्भाशय की परत के झड़ने की वजह से लगने वाली ऊर्जा के कारण आपको वैसे ही ज़्यादा थका हुआ और सुस्त महसूस होता है। हार्मोनल बदलाव, खासकर ल्यूटल चरण में, कार्बोहाइड्रेट और मिठाइयों की प्रबल इच्छा कर सकती है ज़्ब आपका शरीर ऊर्जा का भंडारण करके संभावित गर्भावस्था के लिए तैयारी करता है। प्रोग्रेसटेरॉन और एस्ट्रॉन में ये उतार चढ़ाव सेरोटोनिन और डोपोमिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर्स को भी प्रभावित करते हैं, जिससे आमतौर पर मूड में उतार चढ़ाव और चिड़चिड़ापन आता है। इससे उपवास करना आमतौर से ज़्यादा पेचीदा हो जाता है।
गर्भाशय के सिकुड़ने की वजह से महवारी के दौरान क्रैंप्स होते हैं, और जब रक्तस्त्राव जारी रहता है, पीठ दर्द, सिरदर्द, दर्दनाक स्तन जैसे लक्षण कम होने लगते हैं। काफी महिलाएं कहती हैं कि ओव्यूलेशन के बाद उन्हें ज़्यादा ताकत महसूस होती है और उनका मूड बेहतर रहता है। जो भी हो, माहवारी से जुड़े लक्षण और शारीरिक बदलाव, महवारी आने के एक से दो हफ्ते पहले हो सकते हैं, जिसे प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) कहा जाता है। दुनियाभर में जवान महिलाओं में PMS सबसे आम तौर पर अनुभव किया जाने वाला लक्षण है।
उपवास आपके मासिक धर्म स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है
कोई भी दो महिलाओं का माहवारी का एक जैसा अनुभव नहीं होता। मासिक धर्म के लक्षण, चक्र, और स्वास्थ्य और भलाई हर महिला के लिए अलग होते हैं। इसलिए महवारी के दौरान उपवास करना व्यक्ति के स्वास्थ्य और माहवारी अनुभव पर निर्भर करता है। उपवास से शरीर की प्राकृतिक सफाई प्रक्रिया में मदद, ऊर्जा में वृद्धि, और सजगता में बढ़ावा जैसे फायदे हैं। लेकिन, इसे माहवारी के दौरान करने से कुछ महिलाओं के पोषण स्तर में गिरावट आती है। ऐसी महिलाओं में जिन्हें कुछ विशिष्ट पोषण अवश्यकताएं हैं या कुछ विशिष्ट स्वास्थ्य समस्या है, उनके लिए उपवास के जोखिम ज़्यादा है।
माहवारी के दिन वैसे ही मुश्किलों के दिन होते हैं, जिसमें थकान, क्रैंप्स, मूड में उतार-चढ़ाव, और ऊर्जा के स्तरों में गिरावट होती है। ऐसे समय में उपवास करने से आपका समग्र स्वास्थ्य और भलाई खतरे में पड़ सकती है। यहाँ कुछ सामान्य प्रभाव दिए हैं जो माहवारी के दौरान आपका शरीर अनुभव करता है:
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शरीर की ऊर्जा स्तर में बदलाव:
ज़्यादा समय तक उपवास करने से आपका शरीर हमेशा से ज़्यादा थक जाता है। माहवारी के दौरान, आपका शरीर हॉर्मोनल असुंतलन से निपटने के लिए बहुत मेहनत करता है। अपनी दिनचर्या में उपवास शामिल करने और बिल्कुल खाना ना खाने से बहुत ज़्यादा थकान हो जाती है।
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कुछ विशिष्ट पदार्थ खाने की तीव्र इच्छा:
माहवारी के दौरान आपके शरीर को विशिष्ट पोषक तत्वों की इच्छा होती है। शरीर में होने वाले हॉर्मोनल बदलाव भूख बढ़ाते हैं, और खाना ना खाने से वह इच्छाएँ और प्रबल हो जाती हैं, जिससे आप जब भी खाते हैं, ज़्यादा खाते हैं।
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हॉर्मोनल संतुलन:
माहवारी के दौरान आपके हॉर्मोन में उतार-चढ़ाव आता है, और उपवास हॉर्मोनल असुंतलन को और बिगाड़ सकता है। लंबे समय तक उपवास करने से कभी-कभी माहवारी आती नहीं या अगर उपवास अक्सर किया जाए तो माहवारी अनियमित हो सकती है, क्योंकि खाने की कमी को आपका शरीर ऊर्जा बचाने का संकेत समझता है।
माहवारी के दौरान उपवास के संभावित लाभ
दूसरी ओर, कुछ महिलाएं उपवास करने से ज़्यादा मानसिक स्पष्टता महसूस करती हैं, माहवारी के दौरान भी। कम समय के उपवास जैसे रुक रुक कर उपवास करना आम तौर आपकी माहवारी में गड़बड़ी नहीं करते और कभी-कभी उससे माहवारी हल्की और कम दर्दनाक हो सकती है। माहवारी के दौरान उपवास करना मुश्किल लग सकता है, लेकिन यह इतना बुरा भी नहीं है। आप उसे किस दृष्टिकोण से देखती हैं, उसके अनुसार इसके कुछ फायदे भी होते हैं।
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डिटॉक्सिफिकेशन:
उपवास फैट कोशिकाओं में जमे टॉक्सिन का तोड़ना प्रोत्साहित करके आपके शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करता है। यह प्रक्रिया कभी-कभी सूजन और बेचैनी को कम करती है, जो माहवारी के दौरान आम है।
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सूजन में कमी:
हर व्यक्ति के पसंद के अनुसार, माहवारी के दौरान उपवास करने से क्रैंप्स और शारीरिक दर्द कम हो सकता है, जिससे सूजन कम होती है। चूंकि यह व्यक्तिगत पसंद है, हो सकता है कुछ महिलाओं को लगे कि इससे क्रैंप्स बदतर होती है।
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बेहतर पाचन:
माहवारी के दौरान जिन महिलाओं को पाचन की समस्या का सामना करना पड़ता है, उन में उपवास करने से पाचन प्रणाली को आवश्यक आराम मिलता है। इससे सूजन, गैस और अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल तकलीफ़ों में मदद मिलती है।
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सजगता और नियंत्रण:
उपवास आपके शरीर में जाने वाले पदार्थों की ओर सजगता और नियंत्रण को प्रोत्साहित करता है। इससे उपवास के बाद खाने की बेहतर आदतें बनती हैं और अगर ध्यान पूर्वक किया जाए, तो मीठा और प्रोसेस्ड पदार्थ खाने की इच्छा को काबू में किया जा सकता है, जिनसे आम तौर पर PMS के लक्षण बढ़ते हैं।
माहवारी के दौरान उपवास करते समय ध्यान रखने लायक कुछ नियम
माहवारी के दौरान उपवास जारी रखने या शुरू करने के लिए, कुछ नियमों को याद रखिए ताकि आप स्वस्थ रहें और ठीक से उपवास कर पाएं। माहवारी के दौरान सजगता से उपवास करने से आप इस स्थिति को अपने लिए फायदेमंद बना सकते हैं। यह प्रक्रिया आपको हाइड्रेटेड रखती है और उपवास के पूरे समय मजबूती से टिके रहने में मदद करती है।
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हाइड्रेटेड रहें:
माहवारी के दौयर्न उपवास करने का एक महत्वपूर्ण कदम है भरपूर पानी पीना। पानी की कमी से सिरदर्द और क्रैंप्स बढ़ सकते है और मूड का उतार-चढ़ाव बदतर हो सकता है, इसलिए अपने शरीर में पानी की मात्रा बनाए रखना बेहतर है।
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उपवास की अवधि को सीमित रखें:
अगर आप लंबे समय तक उपवास करते हैं, तो उसे कम समय के लिए करने पर विचार करें, जिससे आपके शरीर को फिर से से ऊर्जा भरने में मदद मिलेगी। सबसे अच्छा विकल्प है कम समय के लिए रुक रुक कर उपवास करने को चुनना, जैसे 16 या 18 घंटे की बजाय 12 घंटे खाना ना खाना।
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पोषक तत्वों से भरपूर पदार्थों का सेवन करें:
भोजन करते समय पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें। लोह युक्त पदार्थ शामिल करें, जैसे पत्तेवाली सब्जियाँ और दाल, ताकि खोया हुआ खून वापस भर जाए और मैग्नीशियम युक्त पदार्थ शामिल करें, जैसे डार्क चॉक्लेट या केले, जिनसे मांसपेशियों के क्रैंप्स में मदद मिले।
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अपने शरीर की सुने:
इस दौरान आपका शरीर कैसा महसूस करता है इस पर ध्यान दें। अगर इससे आपको कमजोरी महसूस हो या आपके लक्षण बदतर हो जाए, तो यह संकेत है कि आप अपना उपवास रोकें या उसमें बदलाव करें। इस समय आपके शरीर को ज़्यादा देखभाल की ज़रूरत होती है।
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डॉक्टर की सलाह लें:
अगर आपको पहले से ही कोई स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जैसे अनेमिया या PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम), तो इस दौरान उपवास करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें। उनकी आपके लिए दी गई सलाह से, आप उपवास जारी रख सकती हैं या कुछ समय के लिए उसे रोक सकती हैं।
उपवास से माहवारी स्वास्थ्य बेहतर होता है या बदतर?
उपवास से किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर होता है या बदतर, इसका कोई एक जवाब नहीं है। लेकिन, कुछ महिलाएं इसे अच्छे से कर पाती हैं और उन्हें माहवारी के दौरान उपवास करने से फायदा हो सकता है, जिससे माहवारी के दौरान सूजन कम हो सकती है और बहाव हल्का हो सकता है। उधर, दूसरी तरफ, कुछ महिलाओं को यह मुश्किल लग सकता है, और उनके लक्षण बदतर हो सकते हैं, जैसे थकान बढ़ना, क्रैंप्स और कोई शारीरिक अस्वस्थता।
मुख्य बात है संतुलन। रुक रुक कर उपवास या कम अवधि के उपवास आम तौर पर लंबे समय के उपवास की तुलना में ज़्यादा सहनीय होते हैं और उनकी माहवारी स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने की संभावना कम होती है याद रखें कि हॉर्मोन को संतुलित और बनाए रखने के लिए शरीर को पर्याप्त ऊर्जा की ज़रूरत होती है।
संक्षेप में
उपवास करना या ना करना यह हर एक की अपनी पसंद है जो सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यक्तिगत कारणों पर निर्भर करती है। मासिक धर्म आपके शरीर का हॉर्मोनल संतुलन बनाए रखने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, और इस दौरान आपके शरीर का ज़्यादा ख्याल रखना ज़रूरी है।
चूंकि उपवास के अपने फायदे हैं, यह याद रखना ज़रूरी है कि संतुलन महत्वपूर्ण है। अपने शरीर की सुनना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि कुछ महिलाओं को स्वस्थ महसूस होता है और उनके लक्षण कम होते हैं और ऊर्जा बेहतर होती है, जबकि कुछ महिलाओं को बढ़ी हुई क्रैम्पिंग और थकान का सामना करना पड़ता है। सजगता से उपवास करना और अपने शरीर की जरूरतों को पहचानना बहुत ज़रूरी है। आखिरी लेकिन महत्वपूर्ण मुद्दा, अगर आप अपनी माहवारी के दौरान उपवास करने का फैसला लेते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, जब आप उपवास छोड़े, तब अपने शरीर को भरपूर पोषण दें, और अगर आप सुनिश्चित ना हों, तो डॉक्टर की सलाह लें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. क्या उपवास करने से माहवारी आने में देरी हो सकती है?
यदि लंबे समय तक नियमित रूप से उपवास किया जाए, तो कभी-कभी उससे माहवारी ना आना या अनियमित होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं, क्योंकि खाने की कमी को शरीर ऊर्जा बचाकर रखने का संकेत समझ सकता है।
2. क्या मैं माहवारी के दौरान उपवास कर सकती हूँ?
माहवारी के दौरान उपवास करना बहुत से कारणों की वजह से हर एक व्यक्ति की अपनी पसंद है। लेकिन, सजगता से उपवास करना, जैसे कम समय के लिए शरीर को खाने और पानी से दूर रखना, हाइड्रेटेड रहना और जब आप खाएं, तब पौष्टिक खाना खाना, इन सब बातों से आप माहवारी के दौरान उपवास करके भी स्वस्थ रह सकते हैं।
3. मुझे मेरी माहवारी चक्र के दौरान उपवास करने से क्यों बचना चाहिए?
उपवास जारी रखना या उससे बचना, यह हर एक व्यक्ति की अपनी पसंद है। लेकिन, मासिक धर्म और उपवास के दौरान आपका शरीर हॉर्मोनल उतार-चढ़ाव महसूस करता है, जिससे संभावित रूप से हॉर्मोनल असुंतलन और भी बदतर हो सकता है, जिससे खाने की तीव्र इच्छा, मूड में उतार-चढ़ाव, शारीरिक बदलाव, क्रैंप्स, और थकान जैसे लक्षण हो सकते हैं। आम तौर पर, अपने शरीर की सुनने, माहवारी के अनुभवों पर ध्यान देने और अगर आप सुनिश्चित ना हो, तो डॉक्टर से बात करने की सलाह दी जाती है।
Sources:
Only My Health - Fasting On Your Period
Health Shots - Can intermittent fasting affect menstruation?
The Nutrition Clinic - Fasting for women on a regular menstrual cycle