देखिए - यह तो मानना पड़ेगा कि माहवारी के बारे में जो धार्मिक मान्यताएं हैं वह किसी पहेली से कम नहीं। क्या माहवारी के दौरान आप मंदिर जा सकती हैं? क्या यह सचमुच बड़ा मुद्दा है, या हम केवल पुराने मिथकों और परंपराओं में उलझे हुए हैं? सच बताऊं – आपको जितना लगता है यह उससे ज़्यादा जटिल है! मंदिर के नियम, सांस्कृतिक परंपराएं और व्यक्तिगत मान्यताएं – इन सबके बीच बहुत कुछ समझने की जरूरत है। 

माहवारी के बारे में धार्मिक मान्यताओं की जड़ें

माहवारी को हमेशा से ही श्रद्धा और वर्जना की मिश्रित नज़रों से देखा गया ही। कई धर्मों में, इसे एक प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है, लेकिन फिर भी माहवारी के दौरान महिलाओं को “अशुद्ध” माना जाता है। इससे पैदा होते हैं मंदिर के अलिखित (कभी–कभी लिखित) नियम जो माहवारी के दौरान महिलाओं को मंदिर के अंदर जाने और पूजा में सहभागी होने से रोकते हैं। 

लेकिन बात इतनी सी है – यह माहवारी के मिथक भूतकाल में गहराई से निहित हैं। वह उस समय से उत्पन्न होते हैं जब आज के मुकाबले सैनिटरी उत्पाद और स्वच्छता पर उतना शोध नहीं किया गया था और उसे उतने अच्छे से समझा नहीं गया था। पुराने समय में माहवारी को महिलाओं के शरीर की ‘शुद्धि प्रक्रिया’ माना जाता था, और इसी कारण उन्हें पवित्र स्थलों से दूर रहने को कहा जाता था। लेकिन क्या आज यह लागू होता है?

तो, क्या माहवारी में आप मंदिर जा सकती हैं?

इस सवाल से कई महिलाएं जूझती है। हर मंदिर के नियम और परंपराएं अलग हो सकती हैं। कुछ स्थल अपने मंदिर के नियमों को लेकर बहुत सख्त होते हैं और महिलाओं को माहवारी के दौरान मंदिर में आने से रोकते हैं, लेकिन कुछ स्थल बहुत आधुनिक हैं और यह निर्णय उस व्यक्ति पर छोड़ते हैं। यहां यह समझना ज़रूरी है कि यह ज़्यादातर व्यक्तिगत मान्यता और उस विशिष्ट मंदिर के रिवाजों के ऊपर है। 

उदाहरण के तौर पर, अगर आप किसी ऐसे मंदिर में हैं जो ज़्यादा सख्त पारंपरिक नियमों  का पालन करते हैं, तो वह महिलाओं को माहवारी के दौरान मंदिर के पवित्र स्थान या ध्यान मंडप में बैठने की मनाही कर सकते हैं। लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जो आपका खुले दिल से स्वागत करते हैं, फिर चाहे आप अपने माहवारी चक्र के किसी भी चरण में हो। 

माहवारी के दौरान पूजा करने से क्या होता है?

क्या माहवारी के समय पूजा करने से कोई धार्मिक बाधा आती है? संक्षिप्त जवाब है: नहीं, कोई आपत्ति नहीं आने वाली! अभी भी ऐसे परंपरावादी लोग हैं जो प्राचीन प्रथाओं का पालन करते हैं, काफी आधुनिक आध्यात्मिक गुरु मानते हैं कि माहवारी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, यह ऐसा कुछ नहीं है जो उस ईश्वरीय शक्ति से आपके जुड़ाव में अड़चन लाए। 

माहवारी के दौरान पूजा अयोग्य होने की धारणा, उन मिथकों में से एक है जो गहन जांच के बाद टिक नहीं पाती | आखिर में, यह सब आपके इरादों पर निर्भर होता है। अगर आपका दिल और दिमाग सही इरादे रखते हैं, तो क्या इससे फर्क पड़ता है कि पूजा करते समय आपकी माहवारी चल रही है या नहीं?

माहवारी के कितने दिनों के बाद आपको पूजा करनी चाहिए?

और एक आम सवाल यह होता है कि माहवारी के बाद पूजा दोबारा शुरू करने के लिए कोई “वेटिंग पीरियड” होता है क्या? कुछ परंपराएं ऐसा कहती हैं कि महिलाओं को पवित्र स्थलों पर माहवारी के कुछ दिनों बाद जाना चाहिए। कुछ लोग ऐसी कोई रोक नहीं लगाते और उसे व्यक्तिगत चुनाव पर छोड़ देते हैं। फिर से, यह आपके मंदिर के रीति रिवाज़ो और उस विशिष्ट मंदिर के नियमों पर निर्भर करता है। हालांकि, आज की महिलाएं माहवारी समाप्त होते ही पूजा में लौटने को सामान्य मानती हैं। 

किसी शुभ दिन माहवारी आ जाए तो?

यह सवाल हमेशा से चर्चा का विषय रहा है: अगर किसी धार्मिक पर्व पर माहवारी शुरू हो जाए तो? जैसे, किसी त्यौहार के दिन या किसी बड़ी पूजा को शुरू करने से ठीक पहले? बहुत महिलाएं उलझन में पड़ जाती हैं और यह सोचती हैं कि योजना के अनुसार कार्य किया जाए तो अपमानजनक या अशुभ तो नहीं होगा। सच यह है कि शुभ दिन पर माहवारी शुरू होने से न तो आपकी पूजा करने की योग्यता घटती है और न ही त्यौहार मनाने की। सबसे अच्छी सलाह? कठोर परंपराओं की परवाह करने के बजाय, वही करें जो आपको सही लगे। 

अंतिम विचार: माहवारी के मिथकों पर दोबारा सोचने का समय आ गया है

आप माहवारी के दौरान मंदिर जाना चाहती हैं या नहीं, यह आपका फैसला है। माहवारी के बारे में ज़्यादातर पारंपरिक धार्मिक मान्यताएं पुराने हो चुके दृष्टिकोणों पर आधारित हैं, और हो सकता है कि पुराने ज़माने में उनका कोई मतलब बनता हो, पर अब दुनिया आगे बढ़ चुकी है। ज़रूरी यह है कि महिलाएं दंड और वर्जना के डर के बिना अपने फैसले लेने मैं सक्षम महसूस करें।

आखिरकार, माहवारी जीवन का एक अनिवार्य और प्राकृतिक हिस्सा है। अगर माहवारी के दौरान आपको आध्यात्मिक प्रथाओं से जुड़ाव महसूस होता है और आप पूजा करना चाहती हैं, तो ऐसा ना करने की कोई वजह नहीं है। आइए, साथ मिलकर इन माहवारी के मिथकों को दूर करते हैं और माहवारी और आध्यात्मिकता की ओर एक अधिक जुड़ाव की दृष्टिकोण को अपनाते हैं।