प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलावों का सामना करना पड़ता है। इसी के साथ अक्सर एक सवाल उठता है कि क्या प्रेग्नेंसी के दौरान भी पीरियड्स हो सकते हैं? आमतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान पीरियड्स नहीं होते हैं क्योंकि गर्भधारण के बाद शरीर मासिक धर्म चक्र को रोक देता है। लेकिन कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के शुरुआती हफ्तों में ब्लीडिंग होती है, जिससे वे भ्रमित हो जाती हैं और इसे पीरियड समझ बैठती हैं। आइए जानते हैं कि pregnancy me bleeding kab hoti hai और इसके क्या कारण हो सकते हैं।
क्या pregnancy में पीरियड्स हो सकते हैं?
गर्भधारण के बाद, शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं और मासिक धर्म चक्र बंद हो जाता है। इसलिए एक सामान्य पीरियड प्रेग्नेंसी के दौरान नहीं हो सकता। हालांकि, कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के शुरुआती हफ्तों में हल्की ब्लीडिंग होती है, जिसे वे पीरियड समझ सकती हैं। इस ब्लीडिंग के अलग-अलग कारण हो सकते हैं और यह जरूरी नहीं है कि यह हर प्रेग्नेंट महिला के साथ हो।
प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग के कारण
Pregnancy me bleeding hona सामान्य है, लेकिन इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। आइए जानते हैं प्रेग्नेंसी के अलग-अलग चरणों में ब्लीडिंग के सामान्य कारण:
1. इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग
- Pregnancy me bleeding kab hoti hai? गर्भधारण के 6 से 12 दिन बाद जब भ्रूण गर्भाशय की दीवार में स्थापित होता है, तब हल्की ब्लीडिंग हो सकती है। यह आमतौर पर हल्की गुलाबी या भूरे रंग की होती है और एक-दो दिन तक रहती है।
- यह ब्लीडिंग सामान्य मानी जाती है और यह प्रेग्नेंसी का पहला संकेत भी हो सकता है। शोध के अनुसार, करीब 20-30% महिलाओं को इम्प्लांटेशन के दौरान हल्की ब्लीडिंग का अनुभव होता है।
2. हार्मोनल बदलाव
- गर्भधारण के शुरुआती समय में हार्मोनल बदलाव होते हैं जो हल्की ब्लीडिंग का कारण बन सकते हैं। इसमें हल्का दर्द भी महसूस हो सकता है जो पीरियड जैसे लक्षण दे सकता है।
- अगर आप सोच रही हैं कि pregnancy mein period jaise symptoms क्यों महसूस हो रहे हैं, तो इसका कारण यही हार्मोनल बदलाव हो सकते हैं।
3. सर्विक्स में बदलाव
- प्रेग्नेंसी के दौरान सर्विक्स में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है जिससे वह अधिक संवेदनशील हो जाती है। इस कारण कभी-कभी सेक्स या पेल्विक एग्जाम के बाद हल्की ब्लीडिंग हो सकती है।
- यह ब्लीडिंग हल्की होती है और अपने आप बंद हो जाती है, लेकिन डॉक्टर से डॉक्टर से सलाह लेना बेहतर है ।
4. सबकोरियोनिक हेमरेज
- कभी-कभी गर्भाशय की दीवार और प्लेसेंटा के बीच एक छोटा सा ब्लड क्लॉट हो जाता है जिसे सबकोरियोनिक हेमरेज कहा जाता है। यह प्रेग्नेंसी के दौरान हल्की ब्लीडिंग का एक और कारण हो सकता है।
- लगभग 1.7-3.1% महिलाओं को यह स्थिति होती है और यह अधिकतर मामलों में अपने आप ठीक हो जाती है। हालांकि, डॉक्टर से सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है।
5. गर्भपात या एक्टोपिक प्रेग्नेंसी
- शुरुआती प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग के कुछ गंभीर कारण भी हो सकते हैं जैसे गर्भपात या एक्टोपिक प्रेग्नेंसी। अगर ब्लीडिंग के साथ तीव्र दर्द, बुखार या चक्कर आते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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रिसर्च के अनुसार, लगभग 10-20% गर्भधारण में गर्भपात की संभावना होती है। वहीं, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के मामले करीब 1% होते हैं और इनमें तुरंत चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।
Pregnancy bleeding के प्रकार: कब चिंता करें?
हालांकि हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग सामान्य हो सकती है, लेकिन कुछ प्रकार की ब्लीडिंग संकेत दे सकती है कि आपको डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए:
- अधिक ब्लीडिंग: अगर एक घंटे में पैड पूरा भीग जाता है, तो यह गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।
- तीव्र दर्द या ऐंठन: अगर ब्लीडिंग के साथ गंभीर दर्द हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- लगातार ब्लीडिंग: अगर ब्लीडिंग कई दिनों तक चलती है, तो इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
दूसरी और तीसरी तिमाही में ब्लीडिंग
जहां शुरुआती प्रेग्नेंसी में हल्की ब्लीडिंग सामान्य मानी जाती है, वहीं दूसरी और तीसरी तिमाही में ब्लीडिंग कम सामान्य होती है और इसके कुछ संभावित कारण हो सकते हैं:
- प्लेसेंटा प्रीविया: जब प्लेसेंटा गर्भाशय के निचले हिस्से को कवर कर लेता है, तो तीसरी तिमाही में ब्लीडिंग हो सकती है।
- प्लेसेंटल अब्रप्शन: एक दुर्लभ स्थिति जहां प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से समय से पहले अलग हो जाता है। इसमें भारी ब्लीडिंग और पेट में दर्द हो सकता है।
- प्री-टर्म लेबर: कुछ महिलाओं को समय से पहले लेबर के दौरान हल्की ब्लीडिंग हो सकती है।
इन सभी मामलों में डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी होता है ताकि मां और बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
Pregnancy bleeding को कैसे मैनेज करें?
अगर प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लीडिंग होती है, तो यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
- शांत रहें: हल्की ब्लीडिंग बिना किसी अन्य लक्षण के अधिकतर मामलों में सामान्य होती है।
- शारीरिक गतिविधि सीमित रखें: भारी सामान उठाने या अत्यधिक व्यायाम से बचें, इससे ब्लीडिंग बढ़ सकती है।डॉक्टर से सलाह लें: किसी भी प्रकार की ब्लीडिंग होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ताकि किसी भी संभावित समस्या का समय पर निदान हो सके।
प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग एक आम चिंता का विषय है, खासकर शुरुआती दिनों में। जबकि pregnancy me periods aate hai kya का सीधा जवाब नहीं है, हल्की ब्लीडिंग के कई कारण हो सकते हैं जो पीरियड्स जैसे लग सकते हैं। प्रेग्नेंसी में असली पीरियड्स नहीं आते, लेकिन कुछ प्रकार की ब्लीडिंग पीरियड जैसे लक्षणों की नकल कर सकती है जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।
समझदारी और जागरूकता से आप प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी प्रकार की ब्लीडिंग को संभाल सकते हैं। हमेशा डॉक्टर से संपर्क करें ताकि आपकी और आपके बच्चे की सेहत और सुरक्षा दोनों बनी रहे।
Sources :
Cleveland Clinic :Implantation Bleeding
Care Hospitals : Implantation Bleeding
Alabama fertility : Subchorionic Hematoma
Mayo Clinic : Miscarriage